Sunday, March 22, 2015

सकारात्मक सोच और पौष्टिक आहार लें

सकारात्मक सोच और पौष्टिक आहार लें
परीक्षाएं शुरु हो गई हैं। परीक्षाओं को लेकर विद्यार्थियों में होने वाले तनाव पालने की आवश्यकता नहीं है। अच्छा परिणाम लाने का इरादा होना चाहिए लेकिन परीक्षा बोझ नहीं होनी चाहिए। मनोचिकित्सक भी आने वाले दिनों में परीक्षा में शामिल होने जा रहे बच्चों के साथ अभिभावकों को भी सलाह देते हैं कि वे बच्चों में परीक्षा का तनाव न होने दें। बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे बच्चों के तनाव होना स्वाभाविक है लेकिन इन तनाव को बच्चों में सकारात्मकता का प्रसार और सलाह दिए जाने के साथ यह बताकर कि अच्छे परिणाम के लिए बढऩा है। पढ़ाई और परीक्षा बोझ नहीं हैं। ऐसी सलाह देकर भी बच्चों को काफी हद तक तनाव से बचाया जा सकता है। अभिभावकों को सलाह है कि बच्चों के तनाव पर काबू पाने के लिए जरूरी है कि पौष्टिक और संतुलित आहार का नियमित सेवन कराएं। संतुलित और पौष्टिक आहार बच्चों में मजबूती प्रदान करता है वहीं मौसमी बिमारियों से जैसे बुखार, फ्लू आदि से लडऩे में भी मदद करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चिप्स, पिज्जा, बर्गर जैसे खाद्य पदार्थों में उपयोग किए गए रसायन तनाव को बढ़ाने में मदद करते हैं जिससे बच्चों में अचानक उग्रता आती है और आत्महत्या करने की प्रवृति बढ़ती है। परीक्षा के दौरान या फिर परीक्षा के पहले बच्चों के स्वभाव में अस्वाभाविक परिवर्तन दिखे तभी अभिभावक, शिक्षक और खुद विद्यार्थियों को खास सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे किसी भी तनाव से बचने के लिए सकारात्मक नजरिया, पढ़ाई को दुहराए जाने से लेकर अभिभावकों को अपने बच्चों से आशावादी रहने की सलाह समय-समय पर देनी चािहए। परीक्षा के तनाव से बचने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी सकारात्मक सोच बनाए रखना है जिसे पौष्टिक आहार से पाया जा सकता है। परीक्षा के दौरान अभिभावकों को विशेषरूप से सलाह है कि बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीद न करें और न ही अपनी उम्मीदों की बातें बार-बार उनसे करें। अभिभावक नर्सरी से ही हॉबी क्लास और कई एक्सट्रा एक्टिविटी के नाम पर बच्चों पर बहुत ज्यादा बोझ डाल देते हैं जिससे उन्हें खुद के लिए समय नहीं मिल पाता है और वे तनाव में अक्सर आत्महत्या जैसा संगीन कदम उठा लेते हैं।
बड़े शहरों और महानगरों में अक्सर बच्चों में तनाव बहुत तेजी से बढ़ता है। जीटीबी अस्पताल द्वारा कुछ वर्ष पहले की गई एक शोध से पता चलता है कि स्कूली बच्चों में सिरदर्द कैसे एक आम बीमारी के रूप में उभरी है जिसका सीधा संपर्क तनाव से ही होता है। यह स्टडी राजधानी के 2563 बच्चों पर की गई थी। परीक्षा के दौरान तनाव से लगभग हर एक बच्चा गुजरता है। तनाव हमेशा खराब नहीं होता है। थोड़ा सा तनाव और चिंता आपके परफॉरमेंस को बढ़ाने में मदद भी करता है। परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को किसी भी तरह के तनाव से बचने के लिए समय-समय पर अपने पाठयक्रम को दोहराएं, पौष्टिक आहार ले, अपने लिए भी थोड़ा सा समय निकालें। यह परीक्षा भी किसी और परीक्षा की तरह महत्वपूर्ण होती है इसलिए जितना तनाव आप अपनी स्कूल की अन्य परीक्षाओं में लेते आएं हैं, उतना ही तनाव इस परीक्षा में भी लें।
अभिभावक परीक्षा के दिनों में बच्चों से अपनी उम्मीदों का जिक्र न करें। साथ ही समय-समय पर बच्चों के व्यवहार में आने वाले परिवर्तन पर भी न•ार रखें। यदि बच्चे के व्यवहार में किसी तरह की चिड़चिड़ाहट, आलस्य, उग्रता दिखाई देती है तो आपको समझ लेना चाहिए कि आपका बच्चा तनाव में है। वह अपने आपको किसी दबाव में महसूस कर रहा है। ऐसे समय में बच्चे को विशेष तरह की सलाह की आवश्यकता होती है। बार-बार बच्चों को यह जरूर बताएं कि यह किसी अन्य परीक्षा की तरह ही एक परीक्षा है इस पर पूरा भविष्य निर्भर नहीं है।
बच्चों को विशेष सलाह है कि यदि आपको तनाव से बचना है तो समय सारणी बनाएं, समय-समय पर मॉडल प्रश्नपत्र की मदद से खुद की परीक्षा लें। इस बात का खास ध्यान रखे कि एक समय में 45 मिनट से अधिक समय तक नहीं पढऩा है। छोटा बे्रक बनता है। दिमाग 45 मिनट से अधिक किसी चीज को समझ नहीं सकता है। परीक्षा के दौरान और परीक्षा की तैयारी के दौरान अधिक जंक फूड मिठाई और कार्बोनेटेड ड्रिंक के अधिक सेवन से बचें। छह से आठ घंटे की नींद आवश्यक है। परीक्षा हॉल में आखिरी मिनट के तनाव से बचने के लिए हमेशा आधे घंटे पहले पहुंचने की कोशिश करें।
परीक्षा के दौरान होने वाले तनाव से बचने के लिए
बच्चे हमेशा अपने आप पर विश्वास करें और परीक्षा के प्रति सकारात्मक रवैया रखें।
अभिभावक बच्चों से जरूरत से अधिक उम्मीद न रखें।
तुलनात्मक रवैये से बचें।
द्यबच्चों को बताएं कि यह उनकी जिन्दगी का आखिरी पड़ाव नहीं है।
द्यसमय-समय पर परीक्षा के किसी भी तरह के तनाव से बचने के लिए मॉडल प्रश्नपत्र के द्वारा खुद की जांच करें।
 45 मिनट से अधिक न पढ़ें।
 बे्रक लें, दिमाग 45 मिनट से अधिक कुछ भी नहीं रखता।
 व्यायाम करें, तीस मिनट का व्यायाम आपके दिमाग को तरोताजा बनाए रखने में मदद करता है।
 पौष्टिक आहार का सेवन करें।
 किसी भी हालत में घबराहाट से बचने की कोशिश करें।
 छह से आठ घंटे की नींद आपको पूरा दिन तरोताजा रखती है।
 नकारात्मकता से बचने के लिए हमेशा अभिभावक, टीचर या फिर सीनियर से बात करें अपनी परेशानी बताएं और मदद लें।
अभिभावक रखें बच्चों पर नजर, इन बातों पर रखें ख्याल
 व्यवहार में बदलाव, चिडचिड़ाहट, चक्कर आने की शिकायत
 नींद की कमी, पढ़ाई में रुचि कम होना, भोजन में भी कमी
 खुद से हार जाने की प्रवृति का उत्पन्न होना
बार-बार किसी और से तुलना करने से बचना
 परीक्षा के दौरान एक से दूसरे ट्यूशन जाने से बचने की कोशिश करनी चाहिए।
 यदि बच्चा तनाव में न•ार आ रहा है और आपके समझाने से बहुत फर्क नहीं पड़ रहा है तो चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
संपर्क:-
वरिष्ठ मनोचिकित्सक
बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, नई दिल्ली

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