Friday, February 27, 2015

खाद्य पदार्थों में मिलावट खोरी

त्योहारों का दौर है, बाजार में तरह-तरह के मिलावटी खाद्य पदार्थ बिक रहे हैं। मिलावट की वजह से उपभोक्ता ना सिर्फ ठगा जाता है, बल्कि उसकी सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। कुछ लोग थोड़े से फायदे के लिए खाद्य पदार्थों जैसे- दूध और उससे बनी मिठाइयां, आटा, खाद्य तेल, मसाले, दाल, कॉफी, चाय, अचार, बेसन जैसे खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हैं। साधारण जानकारी की मदद से खाद्य पदार्थों में मिलावट खोरी की खुद ही जांच कर सकते हैं, ताकि आप गुणवत्ता से भरपूर पदार्थों का सेवन करें और स्वस्थ रहें।
लौंग
लौंग को बाजार में लाने से पहले लोग इसक ा तेल निकाल लेते हैं और बाद में इसी लौंग को खुदरे बाजार में बेच दिया जाता है। तेल से निकाली हुई लौंग का आकार सिकुड़ा हुआ, छोटा और आड़ा-तिरछा होगा साथ ही इसके स्वाद में लौंग का असल तीखापन भी महसूस नहीं होगा।
दूध
दूध में पानी की मिलावट की जांच करने के लिए किसी चिकनी लकड़ी या पत्थर की सतह पर दूध की एक या दो बूंद टपकाकर देखिए। अगर दूध बहता हुआ नीचे की तरफ गिरे और सफेद धार सा निशान बन जाए तो दूध शुद्ध है। दूध में डिटर्जेंट की मिलावट पहचानने के लिए दूध की 5-10 मिलीग्राम मात्रा किसी कांच की शीशी या टेस्ट-ट्यूब में लेकर जोर-जोर से हिलाने पर यदि झाग बने और देर तक बना रहे तो इसमें डिटर्जेंट मिला है।
नारियल तेल
नारियल तेल में मिलावट जानने के लिए थोड़ा सा तेल किसी कांच के बर्तन में डालकर रेफ्रिजरेटर में रख दिया जाए। नारियल का तेल कठोर हो जाता है व मिलावटी तेल की सतह अलग दिखाई पडऩे लगती है।
शकर
शकर में सफेदी के लिए मिलावटखोर इसमें चॉक का चूर्ण मिलाते हैं। मिलावट का पता लगाने के लिए थोड़ी सी शक्कर लेकर कांच के  ग्लास में डालकर इसमें पानी मिला दिया जाए कुछ देर में चॉक का चूर्ण पानी की सतह पर आसानी से दिखाई देगा।
गेहूं का आटा
बाजार से लिए गए आटे में मिलावट की पहचान के लिए एक चम्मच आटा लेकर पानी के किसी पात्र में डालिए यदि उसमें ब्रान (रेशे और छिलके) की संख्या ज्यादा है तो रेशे और छिलके पानी की उपरी सतह पर दिखने लगेेंगे। इससे आप आसानी से अनुमान लगा पाएंगे कि आटा शुद्ध है मिलावटी।
शहद
शहद में मिलावटखोर शकर के पानी का घोल भी मिलाकर बेचते हैं, जिससे उसकी गुणवत्ता पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है। शहद की शुद्धता परखने के लिए उसे कपास पर डालकर जलाएं। यदि कपास आसानी से जल जाए तो मान लीजिए कि शहद शुद्ध है। अगर शहद मिलावटी होगा तो नहीं जलेगा या जलेगा तो पानी की उपस्थिति की वजह से आवाज करता हुआ जलेगा। इसके अलावा शहद की एक या दो बूंद को एक गिलास पानी में टपकाइए, यदि यह पानी की सतह पर बैठ जाए और खुद पानी में घुले नहीं तो शहद शुद्ध होगा।
मिर्च और हल्दी
मिर्च में लालपन और हल्दी में पीलापन लाने के लिए कई व्यापारी इसमें कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल भी करते हैं। ऐसे रंगों की पहचान करने के लिए एक चम्मच चूर्ण को पानी में डालिए और फिर देखिए कि अचानक पानी का रंग लाल (मिर्च) और पीला (हल्दी) हो जाता है तो पहचाना जा सकता है कि खाद्य पदार्थों में कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल किया गया है।
हींग
मिलावटखोर हींग में भी खूब मिलावट करते हैं। यदि इसे जलाया जाए और यह कपूर की तरह जल जाए और सुगंध भी आए तो यह इसके असली होने की पहचान है।
दालचीनी
दालचीनी में मिलावटखोर केसिया और अमरूद जैसे पौधों की छाल पर दालचीनी का कृत्रिम तेल छिड़ककर इसे दालचीनी के नाम से बेच देते हैं। दालचीनी क ी छाल बेहद पतली होती है, इसे पेंसिल पर भी लपेटा जा सकता है, जबकि नकली छाल को आसानी से देखकर भी पहचाना जा सकता है, क्योंकि नकली छाल पर कई सतहें दिखायी देंगी। इसके अलावा असली दालचीनी को हाथ में रगडऩे से यह हथेली पर ही रंग छोड़ देती है।
केसर
मक्के की बालियों को काटकर कोल तार पर रंग लगाकर केसर के नाम से बेचा जाता है। इसकी कुछ मात्रा लेकर पानी में डुबोया जाए तो नकली केसर तुरंत रंग छोड़ देगा, जबकि असली केसर का रंग आहिस्ता-आहिस्ता निकलता है।
आयोडीन नमक
उबले आलू पर नमक छिड़ककर कुछ देर बाद इस पर कुछ बूंदें नींबू रस की डाली जाएं। यदि नमक में आयोडीन है तो आलू का रंग नीला पड़ जाएगा और अगर ऐसा नहीं होता है तो नमक मिलावटी है।
मटर
हरी मटर के दानों को पानी में डालकर रखिए, आधे घंटे के अंदर पानी का रंग बदल जाए तो समझ जाइए कि इसका चमकदार हरा रंग  कृत्रिम है।




तेल और घी मे अर्जेमोन के तेल की मिलावट-अर्जेमोन एक काँटेदार घास होती है और इसमे छोटे-छोटे पीले और सफ़ेद रंग के फूल आते हैं। इसका बीज हूबहू सरसों के बीज जैसा होता है। यूपी के ग्रामीण इलाकों मे इसे भड़भाड़ कहते हैं।
ऐसे करें पहचान 
-एक टेस्ट ट्यूब मे थोड़ा सा तेल या घी लें, इसमे बराबर मात्रा मे कंसण्ट्रेटेड नाइट्रिक एसिड डालें और अच्छी तरह से मिलाएँ। अगर सतह का तरल (एसिड) का रंग लाल या भूरा हो जाए तो समझ जाएँ कि आर्जेमोन की मिलावट है।
दूध मे मिलावट- दूध मे आजकल पानी से लेकर स्टार्च, यूरिया वनस्पति मिल्क, सिंथेटिक दूध और शुगर सिरप जैसी तमाम चीजों की मिलावट धड़ल्ले से हो रही है।
-पानी कि मिलावट की पहचान के लिए साफ और चिकने सतह पर दूध की कुछ बूंदें टपकाएँ। शुद्ध दूध धीरे-धीरे बहता है और पीछे गाढ़ा निशान छोड़ता है, लेकिन पानी तुरंत बह जाता है और कोई निशान नहीं छोड़ता।
-स्टार्च की मिलावट जाँचने के लिए दूध की कुछ जरा सा आयोडीन सॉल्यूशन मिलाएँ। इसमे नीला रंग दिखे तो समझ जाएँ कि स्टार्च की मिलावट है। आयोडीन सॉल्यूशन आपको किसी भी मेडिकल स्टोर मे आसानी से मिल जाएगा।
-यूरिया की मिलावट की पहचान के लिए एक टेस्ट ट्यूब मे एक छोटा चम्मच दूध लें, इसमे आधा चम्मच सोयाबीन या अरहर का पाउडर डालें। टेस्ट ट्यूब को अच्छी तरह हिलाकर इसे मिलाएँ। 5 मिनट बाद, इसमें लाल लिट्मस पेपर डालें। आधे मिनट बाद पेपर निकाल लें। पेपर का रंग लाल होने का मतलब है दूध मे यूरिया मिला है।
-सिंथेटिक दूध पीने के बाद मुह मे हल्का कड़वापन छोड़ता है। उँगलियों के बीच रगड़ने से साबुन जैसा एहसास होता है और दूध गरम करने पर इसमे पीलापन आ जाता है। सिंथेटिक दूध की पहचान मेडिकल स्टोर्स मे मिलने वाली यूरीज़ स्ट्रिप (Urease strips) से भी हो सकती है।
- दूध मे ग्लूकोज या शुगर नहीं होता है। अगर सिरप यूरीज़ स्ट्रिप (Urease strips) से टेस्ट करने पर शुगर पॉज़िटिव आए तो समझ जाएँ कि दूध मे मिलावट है। सिंथेटिक दूध मे मिठास और गाढ़ापन लाने के लिए शुगर सिरप की मिलावट होती है।
खोया और इससे बने उत्पाद- खोया मे स्टार्च की मिलावट आम बात हो गई है।
-इसकी पहचान के लिए खोया का थोड़ा सा सैंपल लें, इसे थोड़े से पानी मे उबालें, ठंडा करें, फिर इसमे आयोडीन सॉल्यूशन की कुछ बूंदें मिलाएँ। इसमे नीला रंग दिखाई देने का मतलब है स्टार्च की मिलावट। इसी प्रक्रिया से छेना और पनीर मे भी मिलावट की पहचान कर सकते हैं।
घी मे मिलावट- इसमे आलू, शकरकंद और स्टार्च जैसी चीजों की मिलावट के मामले पाए जाते हैं।
-मिलावट की पहचान के लिए इसका सैंपल लें। इसमे आयोडीन की कुछ बूंदें मिलाएँ। इसका भूरा रंग नीले रंग मे बदलने लगे तो समझ जाएँ कि कोई न कोई मिलावट है।
साबुत मसालों मे मिलावट- पिसे हुए मसालों मे तो तमाम तरह की मिलावट होती ही है, सबूत मसाले भी मिलावट से नहीं बचे हैं।
-काली मिर्च मे पपीते का बीज: पपीते का बीज सिकुड़ा हुआ, अंडाकार और हरी रंगत लिए हुए भूरा अथवा भूरी रंगत लिए हुए हरा दिखाई देता है।
-काली मिर्च के कुछ दाने लेकर इसे अल्कोहल (rectified spirit) मे डालें। पपीते का बीज ऊपर रह जाएगा जबकि काली मिर्च के दाने डूब जाएंगे।
-मिनरल ऑयल की पॉलिश वाली काली मिर्च मे मिट्टी के तेल (Kerosene) जैसी महक आती है।
- जीरा के बीज मे घास के बीज को चारकोल मिट्टी से पॉलिश करके मिलाया जा रहा है। इसकी पहचान के लिए थोड़ा सा सैंपल लें, इसे हथेली पर रगड़ें, अगर हाथ काला हो जाए तो समझ जाएँ कि मिलावट है।
-हल्दी को छोडकर बाकी मसालों के पाउडर मे स्टार्च की मिलावट भी आयोडिन सॉल्यूशन से हो सकती है। रंग नीला पड़ना मिलावट की पहचान है।
-हल्दी पाउडर मे रंगी हुई मिट्टी की पहचान के लिए टेस्ट ट्यूब मे एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर लें, इसमे कंसण्ट्रेटेड हाइड्रोक्लोरिक एसिड (concentrated Hydrochloric acid) की कुछ बूंदें मिलाएँ। इसमे अगर तुरंत गुलाबी रंग दिखे, जो की मिक्स्चर को हिलाने से गायब हो जाता है, तो समझ जाएँ इसमे मिलावट है।
-हल्दी मे चाक पाउडर या पीले सोप स्टोन पाउडर की मिलावट जाँचने के लिए एक टेस्ट ट्यूब मे थोड़ा सा पानी लें, इसमे थोड़ी सी हल्दी मिलाएँ, इसमे कंसण्ट्रेटेड हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कुछ बूंदें मिलाएँ। मिलावट हुई तो इसमे बुलबुले दिखाई देंगे।
-मिर्च पाउडर मे रंग की मिलावट जाँचने के लिए एक पानी के गिलास मे थोड़ा मिर्च पाउडर छिड़कें, पाउडर का रंग धुलकर नीचे चला जाएगा।
-हींग (Asafoetida) मे सोप स्टोन या अन्य चीजों की मिलावट जाँचने के लिए, पानी मे थोड़ा सैंपल मिलाएँ और इसे रखकर सेटल होने के लिए छोड़ दें। अगर मिलावट होगी तो हींग पानी मे नीचे बैठ जाएगा।
-हरी मिर्च व हरी सब्जियों मे मैलसाइट ग्रीन (Malachite green) की मिलावट
– इसे जाँचने के लिए एक कॉटन का टुकड़ा लें। इसे लिक्विड पैराफ़िन (liquid paraffin) से गीला करें। अब इसे हरी सब्जी के एक हिस्से पर रगड़ कर देखें। अगर कॉटन हारा हो जाए तो समझ लें कि सब्जियों पर रंग लगा है।
- मिलावटखोर केसर के नाम पर मकई (भुट्टा) के ऊपर जो बाल होते हैं उसे शुगर सिरप मे भिगोकर और सूखने के बाद कोल टार कलर (coal tar colour) से रंग कर तैयार करते हैं। नकली केसर पानी मे डालने से धूल जाएगी। लेकिन असली केसर लगातार रंगत छोडती रहती है और अंत तक इसका रंग बरकरार रहता है।

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